मेरा अनुभव

जंगल कट जाने के कारण कही ज्यादा तो कही कम बारिश हो रही है। तापमान बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण जल और वायु प्रदूषित हो चुकी है। बड़े शहरों में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। पीने लायक पानी नही बचा इसलिए खरीदना पड़ता है। पेपर बनाने के लिए करोड़ो पेड़ कटते है। पर उतने ही लगाए जा रहे है क्या? हवा, पानी, सूरज, पेड़ यही हमारे भगवान हो सकते है। इनकी अनुपस्थिति में हम जी नही पायेंगे। अतः इनका संरक्षण करना हमारा पहला कर्तव्य है। पर वास्तव में हम जिन्हे भगवान मानते हैं उनको हटायें तो भी हम बड़े आराम से और अच्छे से जी पायेंगे।

इन सब मे तथाकथित भगवानो के भक्तों का योगदान भी कम नही है। होली के दिन कितने पेड़ जला दिए जाते है। पानी की कितनी बर्बादी होती है। दीवाली के समय कितना ज्यादा फटाकों का धुँवा हवा में फैलता है। आवाज से कितना ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है।

अतः मेरे हिसाब से जरूरत उन भगवानो को बचाने की है जिनके विरह में हम एक दिन भी जीवित नही रह पायेंगे।

ये पृथ्वी कैसी बनी आज भी यह एक गुड़ है। पर मैं यह कभी भी नही मान सकता कि इसे तथाकथित भगवानो ने बनाई है। कारण सरल है। हर देश मे अलग अलग भगवान है। मतलब अमेरिका एक ने, इंग्लैंड एक ने, भारत एक ने बनाया ऐसा हम मान सकते है क्या? अगर नही तो यह पृथ्वी तथाकथित भगवानो ने नही बनाई।

हमे महान पुरुषों और स्त्रियों को मानना चाहिए। उनके विचारों को केवल पढ़ना नही अपितु उनका पालन करने की कोशीश करनी चाहिए। इनके कारण ही सब मानव बराबरी का जीवन जी पा रहे है। वरना तथाकथित भगवानो के नाम पर कुछ लोगो ने बहुतोका जीवन नरक बना दिया था। ये भगवान तब भी नही थे और अब भी नही है। यह केवल कुछ दिमागों की उपज है जिसे डर दिखाकर बहुतो के दिमाग मे घुसा दिया गया। इसी डर के भरोसे इन कुछ लोगो की रोजीरोटी आज भी चल रही है।

उपरोक्त विचार मेरे अब तक के अनुभवों के आधार पर आधारित है। आपके अनुभव भिन्न हो सकते है।

About Dr. Sanjay Kumar Pandagale

I am an Associate Professor in Education in NCERT presently posted at Regional Institute of Education Bhopal which is a constituent unit of National Council of Educational Research and Training, New Delhi. Since last 16 years, I am working here in different capacities like, State Coordinator of Maharashtra and Goa, In-charge of Educational Technology Cell, In-charge of Information and Communication Center, Coordinator of Working With Community programme and Coordinator of EDUSAT programme. State Coordinator of Maharashtra for Research Study on SSA, Member of monitoring team for Chhattis Garh on SSA, Team member of National Achivement Surey (NAS). I visited Kunming, China in 2007 to attend workshop on ICT sponsored by UNESCO Bangkok. In 2008, I attended II workshop on ICT at Brunei Darussalem. Recently, in January 2013, I visited United Kingdom. During my seven days study tour, I visited Nottingham, London and Bristol.
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